Re: इधर-उधर से
छोटी छोटी कहानिया है लेकिन सारगर्भित हैं रजनीश जी , रचना का बड़ा होना मायने नही रखता उसमे कोई अर्थ हों , और शब्द एइसे हों जो साधारण इन्सान के मन तक और दिमाग तक पहुँच सके .
पहली कहानी हर साल शहर बदलने का दुःख इन्सान के जीवन की अस्थिरता को जताती है . दूसरी कहानी में एक पिता के द्वारा बच्चे को दिए गए अच्छे संस्कार का वर्णन जो की बच्चे का जीवन सवारने के लिए जरुरी है . अतिसय अन्याय के बाद अंत में जीत सच्चाई और अछे की हुई इसका वर्णनहै. पाठक को समझने लायक कहानिया हैं रजनीश जी.. शेयर के लिए धय्न्वाद .
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