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Old 26-01-2015, 07:03 PM   #36
rajnish manga
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Default Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें

खलील जिब्रान


दूसरी भाषा
अपने जन्म के तीसरे दिन जब में रेशमी पालने में पड़ा हुआ था और अपने चारों ओर आश्चर्य से देख रहा था तो मेरी माँ ने दाई अन्ना से पूछा, “मेरा लाल कैसा है, बता तो?”

अन्ना ने उत्तर दिया, “देवी, बच्चा तो बहुत अच्छा है. मैंने उसे तीन बार दूध पिलाया है. मैंने आज तक इतना प्रसन्न रहने वाला बच्चा नहीं देखा.”

मैंने जब यह सुना तो मैं व्याकुल हो कर चिल्लाया, “माँ, यह सच नहीं है, क्योंकि मेरा बिस्तर सख्त है और जो मैंने दूध पिया है, वह भी कड़वा था. और दाई के वक्ष की गंध भी मुझे अप्रिय लगती है. मैं यहाँ बड़ा दुखी हूँ.” लेकिन मेरी बात न मेरी माँ की समझ में आ सकी और न ही मेरी दाई अन्ना की क्योंकि मैं जिस भाषा में बोल रहा था वह इस संसार की भाषा न थी. वह उस दुनिया की भाषा थी जहाँ से मैं आया था.

मेरे जन्म के इक्कीसवें दिन हमारे घर में मुल्ला आया. उसने मेरी माँ से कहा, “तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि तुम्हारा बच्चा जन्म से ही धर्मशील है.”

उसकी यह बातें सुन कर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ मैंने मुल्ला से कहा, “फिर तो तुम्हारी स्वर्गीय माता को अफ़सोस होना ही चाहिए. क्योंकि तुम जन्मजात धर्मशील नहीं थे.” लेकिन अफ़सोस कि मुल्ला भी मेरी बात को समझ नहीं सका.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)

Last edited by rajnish manga; 26-01-2015 at 09:14 PM.
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