Re: चाणक्यगीरी
चाणक्य ने मुस्कुराते हुए कहा- ‘‘भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं, गुप्तचरों। आप लोग भयमुक्त होकर बताइए- विद्योत्तमा के राजमहल के बाहर सूचनापट्ट पर क्या लिखा है?’’
एक गुप्तचर ने डरते हुए रुक-रुककर कहा- ‘‘सूचनापट्ट पर लिखा है... लिखा है... लिखा है- ‘विश्वासघाती विद्योत्तमा, भूतनी, चुड़ैल, डायन, परकटी बिल्ली, कौए की दुम, गधे की सींग, धोखेबाज, फरेबी, मक्कार, हार्दिक बधाई के साथ नववर्ष की शुभकामनाएँ... और आगे लिखा है...’’
गुप्तचरों की पूरी बात सुने बिना चाणक्य ने आगबबूला होते हुए कहा- ‘‘किस देश के राजा की इतनी हिम्मत जिसने विद्योत्तमा के राजमहल के बाहर सूचनापट्ट पर इतना बुरा संदेश लिखकर विद्योत्तमा को बदनाम करने की कोशिश की? मौर्य सेनापति से जाकर बोलो- मौर्य हाईकमान चाणक्य का आदेश है। तुरन्त हमले की तैयारी करे। हम उस घृष्ट राजा के देश पर चढ़ाई करके अपने मौर्य देश में मिला लेंगे और उस दुष्ट राजा को दस गज ज़मीन के नीचे दफ़ना देंगे।’’
गुप्तचरों ने कहा- ‘‘आपने पूरी ख़बर तो सुनी ही नहीं। आगे लिखा है- झूठी विद्योत्तमा, तुमने मुझे 99 बार उल्लू बनाकर 49 बार गधा साबित किया। बहुत-बहुत धन्यवाद।’’
चाणक्य ने घबड़ाकर कहा- ‘‘कक्ष का द्वार बन्द करो, गुप्तचरों। दीवारों के भी कान होते हैं। मुझे तो यह संदेश स्वयं विद्योत्तमा का ही लिखा लगता है, क्योंकि यह बात सिर्फ़ विद्योत्तमा ही जानती है- उसने मुझे कितनी बार उल्लू बनाकर गधा साबित किया।’’
गुप्तचरों ने कहा- ‘‘आप बिल्कुल ठीक समझे, महामहिम। हमारे गुप्तचरों ने विद्योत्तमा को खुद रात बारह बजे यह संदेश सूचनापट्ट पर लिखते देखा।’’
चाणक्य ने चिन्तित और गम्भीर होकर सिगार सुलगाते हुए कहा- ‘‘अगर लोगों को पता चल गया- विद्योत्तमा ने अक्ल की खदान, बुद्धि की लदान चाणक्य को 99 बार उल्लू बनाकर 49 बार गधा साबित किया है तो चाणक्य की बनी-बनाई इज़्ज़त मिट्टी में मिल जाएगी। जो राजा-महाराजा आज चाणक्य का नाम सुनकर घबड़ाते हैं, कल चाणक्य का नाम सुनकर थूकने लगेंगे। यही नहीं, अगर मौर्य राजा को पता चल गया- अब चाणक्य के दिमाग़ में दम नहीं रहा तो चाणक्यगीरी कैसे चलेगी?’’ (क्रमशः)
|