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Old 31-01-2015, 08:40 PM   #85
rajnish manga
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Default Re: !! मेरी कहानियाँ > रजनीश मंगा !!

उस रात नींद में सुगरां के मुंह से जोरों की चीख निकल गई. शायद कोई भयानक ख्वाब देख कर डर गयी थी. उसके पति ने चौंक कर उसे देखा और समझा कि यह सुगरां का कोई नया स्वांग है. बस यह सोचना था कि उसके नथुने फड़कने लगे. उठाया डंडा और, जो सुगरां कभी उसके दिल का करार और आँखों की ज्योति हुआ करती थी, उसी की धुनाई शुरू कर दी. इस बेरहमी से उसने सुगरां को पीटा कि उसके स्वयं के हाथ भी दुखने लग गये. सुगरां रोने लग पड़ी .. जार ...जार ... रोती जाती और बोलती जाती,

“मारो ... और मारो ... मार डालो मुझे ... खत्म कर दो. तुम्हें भी .... मेरी मौत से चैन मिल जायेगा ... और मुझे भी ... रुक क्यों गये .... और मारो”

रात उस बदनसीब सुगरां को बड़े जोर का ज्वर चढ़ा. सुबह होते न होते उसके प्राण पखेरू उड़ गये.

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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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