04-02-2015, 12:13 PM
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#88
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Re: !! मेरी कहानियाँ > रजनीश मंगा !!
Quote:
Originally Posted by rajat vynar
..... किन्तु कहानी के अन्त में चमत्कारपूर्ण ढंग से किसी सन्देश को स्थापित करने में विफल होने के कारण कहानी न लगकर सत्यकथा, मनोहर कहानियाँ या समाचार-पत्रों में छपी एक सत्य घटना लगने लगी। कहानी में यथोचित् संशोधन अभी भी सम्भव है। अतः रजनीश मंगा जी से अनुरोध है कि कहानी का संशोधित निर्वहण (denouement) प्रस्तुत करें अथवा .....
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आपकी टिप्पणी देख कर मैं हर्षित हूँ. आपका कथन ठीक है. कथा का अंत कहानी के मानक तत्वों के हिसाब से प्रभावशाली या नाटकीय न हो सका. लेकिन मुझे इसका कोई खेद नहीं है. जिस पृष्ठभूमि से यह कहानी उभरी है, मैं उसका एक गवाह रहा हूँ. उस सामाजिक परिवेश को या कहें कि इतिहास के उस छोटे से कालखंड को मेरी ओर से यह एक विनम्र श्रद्धांजलि है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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