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Old 25-02-2015, 06:40 PM   #24
Rajat Vynar
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Talking Re: आक्षेप का पटाक्षेप

हिन्दू धर्म में बुद्ध को ईश्वर का अवतार बताया गया है किन्तु वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड सर्ग 109, श्लोक 34 में लिखा है—

'यथा हि चोर स्सतथा हि बुद्ध स्तथागतं नास्तिकमत्रविद्धि।।'

अर्थात्— जिस प्रकार चोर दंडनीय होते हैं, ठीक उसी प्रकार बौद्धमतावलंबी भी दण्डनीय हैं। तथागतं (नास्तिक विशेष) को यहाँ इसी कोटि में समझना चाहिए।

यही नहीं, पद्म पुराण, भूमि खंड 2/38/25-27 में जैन धर्म के विरुद्ध भी लिखा है—

'जैनधर्मं समाश्रित्य सर्वे पापप्रमोहिताः
वेदाचारं परित्यज्य पापं यास्यन्ति मानवाः
पापस्य मूलमेवं वै जैनधर्मो न संशयः'

अर्थात्— जैन धर्म सारे पापों से भरा हुआ है, जो लोग उस से मोहित हो कर वेद धर्म के आचार को त्याग कर उसे ग्रहण कर लेते हैं, वे सब पापी हो जाते हैं। इस में संशय नहीं है की जैन धर्म पापों की जड़ है।

जैन धर्म के विरुद्ध भविष्यपुराण, प्रतिसर्ग पर्व, 3/3/28/53 में लिखा है—

'न वदेद् यावनीं भाषां प्राणैः कण्ठगतैरापि ,
गजैरापीड्यमानोsपि न गच्छेद् जैनमन्दिरम्'


अर्थात्— चाहे कितना ही दु:ख प्राप्त हो और प्राण कंठगत भी हों, अर्थात् मृत्यु का समय भी क्यों न निकट हो, तो भी यवनी भाषा मुख से नहीं बोलनी चाहिए और मतवाला हाथी मारने को क्यों न दौड़ा आता हो और जैनियों के मंदिर में जाने से प्राण बचते हों, तो भी जैन मंदिर में प्रवेश न करें। जैन मंदिर में प्रवेश कर अपने प्राण बचाने से हाथी के सामने जा कर मर जाना उत्तम है।

हिन्दू धर्म ग्रन्थों में निहित उपरोक्त बातें क्या शर्मनाक नहीं हैं? किन्तु पवित्र क़ुरान में दूसरे धर्मों के प्रति अपशब्द का प्रयोग वर्जित है। पवित्र क़ुरान, सूरह अनाम 6: आयत 108 में लिखा है—

'अल्लाह के सिवा जिन्हें ये पुकारते हैं, तुम उनके प्रति अपशब्द का प्रयोग न करो। ऐसा न हो कि वे हद से आगे बढ़कर अज्ञानवश अल्लाह के प्रति अपशब्द का प्रयोग करने लगें।'

यही नहीं, पवित्र क़ुरान में सूरा-रअद 13 :7 में दूसरे धर्मों के अवतार और नबियों के बारे में कहा गया है—

''और हरेक जाति के लिए एक मार्ग दिखाने वाला ( हादी ) हुआ है।''

इस प्रकार पवित्र क़ुरान में मात्र 27 नबियों का उल्लेख करते हुए सूरा-अन निसा 4 :164 में कहा गया है—

''कितने रसूल हैं, जिनका विवरण हम बयान कर चुके हैं और कितने ऐसे हैं जिनका वृत्तान्त हमने नहीं दिया है।''

पवित्र क़ुरान, सूरा रअद- 13: 11
में लिखा है—
'हकीकत यह है कि अल्लाह किसी कौम के हाल नहीं बदलता जब तक वह खुद अपने आपको नहीं बदल देती।'
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Last edited by Rajat Vynar; 25-02-2015 at 06:47 PM.
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