Re: गधा माँगे इन्साफ़
नारद ने मुँह बनाकर कहा- ’नहीं, भगवन्, नहीं चाहिए मुझे गधा। मेरा दिल गधे से नहीं भरता। मुझे गधे की लाइफ़स्टाइल बिल्कुल पसन्द नहीं है। जब देखो गधा धूल में लोटता रहता है!’
भगवान् विष्णु ने नारद को समझाते हुए कहा- ’नारद मुनि, मैं आपकी बात से सहमत हूँ- गधा जहाँ पाता है वहाँ धूल में लोटने लगता है। मगर आपको इससे क्या? जब गधा आपका अपना वाहन बन जाएगा तो आप गधे को रोज़ नहला-धुलाकर ऊपर से एक बोतल सेंट छिड़क दीजिएगा। गधा चारों ओर से महकने लगेगा। अच्छी खुशबू करने लगेगा।’
|