08-03-2015, 09:33 AM
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#1067
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by suraj shah
नाकामियों ने और भी सरकश बना दिया,
इतने हुए जलील, की खुददार हो गए...
(अज्ञात)
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ऐसे नगर में रहना भी किस काम का भला
जिसके करीब में कोई बहती नदी न हो
ज़िद पर तो अड़ गए हो मगर सोच लो ज़रा
जिस बात पर अड़े हो, कहीं खोखली न हो
(अनु जसरोटिया)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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