Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by rajnish manga
एक पत्ता हवा का सिम्त-नुमा
एक पत्थर निशान मंजिल का
इक सितारा था आसमान में कम
मैंने नुक्ता लगा दिया दिल का
सिम्त-नुमा = दिशा बताने वाला यंत्र
(शकील ग्वालियरी)
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किताबों में मेरे फ़साने ढूँढ़ते है,
नादान हैं गुज़रे ज़माने ढूँढ़ते है.
जब वोह थे....!! तलाश-इ-ज़िन्दगी भी थी,
अब तो मौत के ठिकाने ढूँढ़ते है
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
Last edited by bindujain; 08-03-2015 at 08:48 PM.
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