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Originally Posted by pavitra
take time to do what makes your "soul" happy
हम पूरा दिन काम करते हैं , काम करते हैं जिससे आजीविका कमा सकें , और अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें। असल में अपने शरीर को सुविधायें देने के लिये ही हम काम करते हैं जिससे कि हम अपने शरीर को आराम दे सकें । अच्छा कमाएँ जिससे अपने लिये सारी सुख-सुविधाएँ एकत्रित कर सकें । गाडी , घर , अच्छा खाना , कपडे , आदि । पर अपने शरीर के आराम के लिये हम भूल जाते हैं कि सिर्फ शरीर के लिये काम करते रहने से कुछ नहीं होगा , क्योंकि शरीर चाहे कितने ही आराम में क्यों ना हो , जब तक हमारी आत्मा सुकून में नहीं होगी तब तक हमें सुख मिल ही नहीं सकता। मैं नहीं कहती कि आप अपने शरीर के लिये कार्य करना बन्द कर दें , जरूर करें पर अपनी आत्मा की अनदेखी ना करें । क्योंकि आपकी आत्मा आपके व्यक्तित्व का सबसे मूल्यवान हिस्सा है , और इसलिये इसका सुकून में रहना बहुत जरूरी है।
हर रोज कुछ समय जरूर निकालें ऐसे कार्यों के लिये जिन्हें करने में आपकी आत्मा को खुशी और सन्तुष्टि मिलती हो। हो सकता है आपका पेशा कुछ और हो और आप खुद को किसी और काम को करते वक्त खुश पाते हों । तो तलाश करें कि ऐसे कौन से कार्य हैं जो आपको खुशी देते हैं और उन कार्यों के लिये वक्त जरूर निकालें ।
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Originally Posted by pavitra
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हम पूरा दिन काम करते हैं , काम करते हैं जिससे आजीविका कमा सकें , और अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें। असल में अपने शरीर को सुविधायें देने के लिये ही हम काम करते हैं जिससे कि हम अपने शरीर को आराम दे सकें । अच्छा कमाएँ जिससे अपने लिये सारी सुख-सुविधाएँ एकत्रित कर सकें । गाडी , घर , अच्छा खाना , कपडे , आदि । पर अपने शरीर के आराम के लिये हम भूल जाते हैं कि सिर्फ शरीर के लिये काम करते रहने से कुछ नहीं होगा , क्योंकि शरीर चाहे कितने ही आराम में क्यों ना हो , जब तक हमारी आत्मा सुकून में नहीं होगी तब तक हमें सुख मिल ही नहीं सकता। मैं नहीं कहती कि आप अपने शरीर के लिये कार्य करना बन्द कर दें , जरूर करें पर अपनी आत्मा की अनदेखी ना करें । क्योंकि आपकी आत्मा आपके व्यक्तित्व का सबसे मूल्यवान हिस्सा है , और इसलिये इसका सुकून में रहना बहुत जरूरी है।
हर रोज कुछ समय जरूर निकालें ऐसे कार्यों के लिये जिन्हें करने में आपकी आत्मा को खुशी और सन्तुष्टि मिलती हो। हो सकता है आपका पेशा कुछ और हो और आप खुद को किसी और काम को करते वक्त खुश पाते हों । तो तलाश करें कि ऐसे कौन से कार्य हैं जो आपको खुशी देते हैं और उन कार्यों के लिये वक्त जरूर निकालें ।
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बहुत अछि बात कही पवित्रा जी ,,, सच बात है की जीवन यापन के लिए हमे न चाहते हुए भी वो काम करने पड़ते है जो सही मायनों में हमे पसंद नहीं होते पर करने पड़ते हैं क्यूंकि जीने के लिए जरुरी हैं उन्हें करना पर जिस विषय, वस्तु या कार्य में आपको रूचि हो,आपको आत्मिक शांति मिलती है उसके लिए अपने सारे समय में से कुछ पल जरुर रखने चाहिए ...
और मेरा मानना है की सात्विक प्रवत्ति हम इंसानों में ज्यादातर होती है तामसी प्रवत्ति इंसानों को क्षणिक सुख देती है जबकि सात्विक प्रव्रत्ति इंसान को आंतरिक सुख का अनुभव कराती है यहाँ मै अपनी बात को जरा सविस्तार बताना चाहूंगी की तामसी प्रवव्र्त्ति जिसमे जुआ खेला शराब पीना ये सब आता है अब जुआ खेलने वाले को जो ख़ुशी मिलेगी वो तबतक ही जब तक वो खेल रहे होते हैं किन्तु यदि इंसान की प्रव्रत्ति सात्विक है तो उसमे वो किसी दुखी की सहायता करेगा , भगवन की आराधना करेगा जिससे उसका सुख क्षणिक नहीं होगा उसके आत्मा को आनंद की प्राप्ति होगी और वो ख़ुशी उसके चहरे पर दिखाई देगी (और कई कार्य होते है जिसकी चर्चा यदि यहाँ करेंगे तो बात बहुत लामी हो जाएगी इसलिए मैंने सिर्फ कुछ उदहारण दिए है )
अब रही समय निकलने की बात पवित्रा जी , .. तो इतना कहना जरुर चाहूंगी यहाँ की यदि इन्सान चाहे तो क्या नहीं कर सकता ? और यहाँ तो खुद की ख़ुशी की बात है और ख़ुशी देने वाले काम में थकावट नहीं होती क्यूंकि उसे हम मन से करते है. हाँ सिर्फ आलस न करें खुद के लिए लोग बस, .तब देखे की जीवन उसे कितना आनंद देता है और ये ही नहीं मन की ख़ुशी का प्रभाव आपके व्यवहार में पड़ता है ,आपके परिवार में पड़ता है और आपके आसपास के लोगो को भी आपका व्यवहार प्रभावित करता है सो बहुत जरुरी है की स्वयं को खुश रखे अपने पसंदीदा अछे कार्यो . के द्वारा ,..