आज शाम जब में कहीं जा रहा था, मैने सोचा की शायद यही वह क्षण है जब मैं पैसे नहीं खर्च कर रहा। फिर अचानक खयाल आया की अभी तो मैं बाईक पर हूं। अर्थात ईंधन के पैसे तो खर्च हो ही रहें है। फिर सोचा की जब मैं कुछ भी नहीं कर रहा होता हुं, या सोता हुं फिर भी छत का पंखा बिजली का बिल चढाए रहता है। ईन्टरनेट, फोन, टीवी वगेरह भी हंमेशा चालु ही तो रहतें है।