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Old 25-03-2015, 02:02 PM   #1
rajnish manga
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Default प्यार या आत्मसम्मान

प्यार या आत्मसम्मान
आभार: पल्लवी त्रिवेदी

"वो मुझे बहुत प्यार करते हैं .. बहुत ज्यादा ! हाँ, थोड़े गुस्सैल हैं. इसलिये कभी गाली गलौच कर देते हैं, कभी कभार एक आध तमाचा भी मार देते हैं ! पर मैं भी तो गलतियां कर बैठती हूँ न ! एक दिन मेरा चेहरा उनके मारने से सूज गया था, तो अगले दिन मुझे बहुत प्यार किया था, गुलाब लाकर दिया , डिनर कराने ले गए और एक नयी साड़ी भी दिलाई ! हाँ ..मुझे बुरा तो लगता है जब वो मुझे गालियाँ देते हैं और मारते हैं ! मगर मैं उनसे बहुत प्रेम करती हूँ ! अब प्रेम में तो बहुत कुछ सहना पड़ता है ! मैं उन्ही के साथ जिंदगी गुजारूंगी ,उन्हें कभी नहीं छोडूंगी ! प्रेम में अहम् नहीं होता ! जो भी हो ..अपमान करते हैं तो क्या हुआ , प्यार भी तो बहुत करते हैं ! इंसान अपनों पर ही तो गुस्सा करता है !"

वो लगातार कह रही थी ... बार बार आँखों में आंसू छलक पड़ते थे ! दुपट्टे से आँखें पोंछकर वो फिर सच्चे प्रेम की दास्तान सुनाने लग जाती थी ! वो कमा रही थी !मगर पति से पिटने के बाद भी उसे छोड़ना नहीं चाहती थी ! अलग होने के बाद की असुरक्षा थी या अकेले रहने का डर या गहरा प्रेम ...पता नहीं क्या उसे अलग होने से रोक रहा था !


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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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