Re: सुखनवर (महान शायर व उनकी शायरी)
अदा जाफ़री
Ada Jafarey
ग़ज़ल
दीप था या तारा क्या जाने
दिल में क्यूँ डूबा क्या जाने
गुल पर क्या कुछ बीत गई है
अलबेला झोंका क्या जाने
आस की मैली चादर ओढ़े
वो भी था मुझ सा क्या जाने
रीत भी अपनी रुत भी अपनी
दिल रस्म-ए-दुनिया क्या जाने
उँगली थाम के चलने वाला
नगरी का रस्ता क्या जाने
कितने मोड़ अभी बाक़ी हैं
तुम जानो साया क्या जाने
कौन खिलौना टूट गया है
बालक बे-परवा क्या जाने
ममता ओट दहकते सूरज
आँखों का तारा क्या जाने
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|