तु दुर रहे चाहे पास रहे,
मिलने की झुठी आस रहे।
तेरे आने की ना तमन्ना हो,
तेरी राह में हम क्यूं उदास रहे?
तेरा नाम लबों पे आए नहीं,
मुझे ईतना होश-ओ-हवास रहे।
मेरे होने से बढ कर है की,
तेरे होने का एहसास रहे।
वो हंस दे कभी तो क्या होगा?
जिसे ग़म ही हंमेशा रास रहे।
खुशीयों के पल बीतें है मगर...
जितने भी रहे, वो खास रहे।
दीप (७.४.१५)
अभी अभी रात २.०० बजे गज़ल पुरी की है!