Re: --------:मेरी भारत माता:--------
जियो और जीने दो का पाठ पड़ा कर भी हिंदू खुद को बचा ना सके
देखते रहे टूटते मंदिर फिर भी मंदिरों की लुट ती आबरू बचा ना सके
कुछ आए लूट कर चले गये जो आ कर बस गये उन का कुछ कर ना सके
जियो और जीने दो का पाठ पड़ा कर भी हिंदू खुद को बचा ना सके
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