Re: सवैया छन्द
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जुल्म हुआ इतना फिर भी चुप है कि नहीं कुछ भी कहती है
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सोच रहा यह भारत की जनता कितना कितना सहती है
बहुत सुंदर, आकाश जी. आम जनता की मनोदशा का सही चित्रण किया है आपने. धन्यवाद.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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