10-06-2015, 09:24 PM
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Re: कुछ तर्क
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Originally Posted by Rajat Vynar
जिस कल्चर की आप बात कर रही हैं उसका मुझे संज्ञान है। लाखों-करोडों का खर्च होने वाली शादी का कार्ड मिलना भी कोई मामूली बात नहीं, सोनी पुष्पा जी। किसी साधारण व्यक्ति को नहीं मिलता ऐसा कार्ड। ऐसा कोई कार्ड अपनी शक्ति से प्रकट किया क्या जो इस बारे में चर्चा कर रही हैं? वैसे किसी कहानी का कितना सुन्दर आइडिया लिखा है आपने। शादी में मिले और दुश्मनी दोस्ती में बदल गई। शादी में मिले और दोस्ती दुश्मनी में बदल गई। वाह-वाह, क्या बात है। इसीलिए तो मैं कहता हूँ- आपमें बहुत कुछ बनने की क्षमता है। आपके अन्दर एक दो नहीं, कई कलाऍ छिपी हुई है। बस उन कलाओं को खोद-खोद कर बाहर निकालने की जरूरत है। बधाइयाँ।
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रजत जी, यदि आप सूत्र में व्यक्त की गई अंतर्वस्तु के दायरे में रह कर अपनी विवेकपूर्ण टिप्पणी प्रस्तुत करेंगे तो सूत्र और भी उपयोगी हो जायेगा. इससे हट कर, सूत्र जारी करने वाले सदस्य में क्या-क्या करने की क्षमता है, क्या-क्या बनने की क्षमता है, या उनमें क्या क्या कलायें छिपी हुयी हैं, इससे आपका कोई सरोकार नहीं होना चाहिए. क्या कविता और क्या debate, लगता है आप हर जगह मूल विषय से हट कर अपनी टिप्पणियों के ज़रिये सम्बंधित सदस्य की खिल्ली उड़ाने पर ही अपना ध्यान बनाये रखते हैं. इस प्रवृत्ति से न तो उनके सम्मान में बढ़ोत्तरी होती है और न आपकी प्रतिष्ठा में इज़ाफा होता है. आशा है आप मेरी इस बात पर गौर करेंगे.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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