Re: चाणक्यगीरी
चाणक्य ने मुस्कुराते हुए रहस्योद्घाटन करते हुए कहा- 'हमें पता है- मालव देश के लिए कौन जासूसी कर रहा है और हमारी खबरें विद्योत्तमा और अजूबी तक कैसे पहुँचती हैं। महामंत्री राजसूर्य कुत्ता है। मुझे तो तभी से महामंत्री राजसूर्य पर शक होने लगा था जब वह राजमहल छोड़कर विद्योत्तमा, अजूबी और हमारे बीच होनेवाली बातें सुनने के लिए 'चाणक्य-निवास' में कुत्ते की तरह सूँघता फिरता था। उस समय तो मेरा शक़ और गहरा गया था जब महामंत्री राजसूर्य विद्योतमा के सम्मान में अपना राजमुकुट उतारकर बेशर्मों की तरह सिर झुकाकर खड़ा था। ऐसा करके महामंत्री राजसूर्य ने मौर्य देश के साथ गद्दारी है। महामंत्री राजसूर्य का सिर कलम करके मौर्य सम्राट के समक्ष पेश किया जाए।'
चाणक्य का आदेश सुनकर महागुप्तचर का मुँह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया।
उसी समय मालव देश से आए गुप्तचर ने आकर कहा- 'मौर्य महामहिम चाणक्य की जय हो! विद्योत्तमा ने अपने भेजे गए एक गुप्त सन्देश में कहा है- मालव देश के राजमहल के चौकीदार की पोस्ट खाली है। चाणक्य आने को बोले तो एक-दो हज़ार स्वर्णमुद्राएँ दे दूँगी महीने में।'
मौका देखकर महागुप्तचर ने चाणक्य को विद्योत्तमा के खिलाफ भड़काते हुए कहा- 'यह तो आपका घोर अपमान है, महामहिम। विद्योत्तमा को सबक सिखाने के लिए हमें कुछ करना चाहिए।'
चाणक्य ने कहा- 'ठीक है। सेनापति से कहो- युद्ध की तैयारी करे। हम मालव देश की ईंट से ईंट बजा देंगे।'
महागुप्तचर खुश होकर चला गया।
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मालव देश पर हमले की बात फैलते ही मालव देश में हड़कम्प मच गया, किन्तु विद्योत्तमा ने मुस्कुराते हुए कहा- 'बहुत दिनों से बोरियत लग रही थी। चाणक्य ने अपनी महाबुद्धि के प्रयोग से कितना मनोरंजक कार्यक्रम बनाया है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच दनादन ईंटे चलेंगे।'
मैसूर महाराजा की सेनापति अजूबी को जब पता चला कि मनोरंजक युद्ध होने वाला है तो वह मैसूर महाराजा से अपने सिर के बालों में भयंकर दर्द का बहाना बनाकर छुट्टी लेकर मालव देश आ गई। विद्योत्तमा ने गर्व से बताया- 'लड़ाई के लिए पाँच लाख दफ्ती की ईंटे बनकर एकदम तैयार हैं। वजन के लिए हमने अन्दर मेवे का लड्डू भरा है।'
अजूबी ने मुँह बनाकर कहा- 'कागज के ईंटों से लड़ने के लिए इतना खर्च करके दफ्ती का ईंटा बनवाने की क्या जरूरत थी? तुम देख लेना- मौर्य देश की सेनाएँ कागज की ईंट लेकर लड़ने के लिए आएँगी और अन्दर पंजीरी और बताशा भरा होगा।'
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