Re: साहित्यकारों के विनोद प्रसंग
साहित्यकारों के विनोद प्रसंग
चाय का बिल
अहमद नदीम काज़मी और इब्ने इंशा
यह उन दिनों की बात है जब अहमद नदीम काज़मी, इब्ने इंशा समेत कई दोस्त एक रेस्तराँ में मुलाक़ात करते और चाय पीते. वे लोग अपना अपना बिल अदा करते और चल देते. एक दिन इब्ने इंशा ने सुझाव दिया कि इस प्रकार वेटर के सामने हम पैसे इकट्ठे करते हैं, यह अच्छा नहीं लगता. आगे से आप लोग मुझे एक एक आना पहले ही दे दिया करो ताकि बिल का भुगतान एकमुश्त कर दिया जाये. इससे इन्हें यह भी पता नहीं चलेगा कि हम कंगाल हैं. ऐसा ही किया जाने लगा. सब लोग वहाँ बैठते ही इंशा को एक एक आना दे देते. इससे हुआ यह कि वे चाय का एक सेट मंगवा लेते जिससे सबके लिए चाय भी पूरी हो जाती थी और इंशा को अपनी चाय के पैसे भी नहीं देने पड़ते. इस पर जब सबने ऐतराज़ किया तो इंशा ने कहा, “उन मजदूरों को भुगतान करने के लिए पेसा इकठ्ठा करने में मैंने जो शारीरिक मेहनत की है, क्या उसके लिए एक आना भी मुआवज़ा नहीं बनता??”
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 10-01-2017 at 10:07 PM.
|