नारी बचाओ
अन्तर्जाल में एक युवक एक सशक्त उदाहरण के साथ 'नारी बचाओ' अभियान में जी जान से जुटे हुए थे। इनका कहना था-
"ग्लोबल वार्मिंग के कारण हमारी आने वाली पीढ़ियाँ टाइगर नही देख पाएँगी!
तो हम क्या करें? हमने भी तो डायनासौर नहीं देखा!
हमने कभी शिकायत की क्या? नहीं ना?
हमारे देश में 1000 लड़कों पर सिर्फ 940 लड़कियाँ बची है।
इसलिए...
'SAVE GIRLS!'
टाइगर बाद में बचा लेंगे!
बाइक के पीछे लड़कियाँ चाहिए या टाइगर?
चॉइस आपकी है!
जनहित में जारी, बचाओ नारी!"
इनका तर्क सुनकर हमने कहा- "नारी की चिन्ता छोड़िए आप और टाइगर बचाने में लग जाइए।"
हमारी बात सुनकर युवक क्रोधपूर्वक बोले- "क्या आपको बाइक के पीछे नारी अच्छी नहीं लगती?"
हमने कहा- "किस ज़माने में रहते हैं आप? क्या आपको पता नहीं- ट्रेण्ड बदल चुका है। पहले लड़के वाले बारात लेकर लड़की वालों के यहाँ जाते थे। अब लड़की वालों को 'घरात' लेकर लड़के वालों के यहाँ जाना पड़ता है। माफ़ कीजिएगा- ट्रेण्ड बदलने के कारण लड़की वालों के लिए नया शब्द 'घरात' बनाना पड़ा। हमने तो बाकायदा लोगों में अपने बनाए इस शब्द का प्रचार और प्रसार करना भी करना शुरू कर दिया है, जैसे- 'घरात कब रवाना हो रही है?' इसलिए चिन्ता छोड़िए और चैन से रहिए, क्योंकि अब लड़कियाँ बैठाएँगी अपनी बाइक के पीछे लड़कों को। जिस लड़की के बाइक के पीछे लड़का नहीं बैठा होगा, उसे समाज में हेय दृष्टि से देखा जाएगा। इसलिए अब लड़कियाँ खुद पटा लेंगी लड़कों को। अब ज़माना है- 'दिलवाली दूल्हा ले जाएगी' जैसी फ़िल्मों के देखने का। हमने तो स्टोरी भी सोच ली है!"
युवक भी पीछे हटने वाले नहीं थे, बोले- "चलिए, आपकी बात मान लेते हैं। 940 लड़कियाँ 940 लड़कों को खुद पटा लेंगी। बाकी बचे 60 लड़कों का क्या होगा? इसीलिए फिर कहता हूँ- नारी बचाइए! नहीं तो बाकी बचे बेचारे 60 लड़के कहाँ जाएँगे?"
हमने मुस्कुराते हुए जवाब दिया- "जेल जाएँगे, और कहाँ जाएँगे?"
युवक ने आश्चर्यपूर्वक पूछा- "भला जेल क्यों जाएँगे?"
हमने कहा- "जब पहले से पटी हुई लड़की को पटाने की कोशिश करेंगे तो जेल नहीं जाएँगे तो और कहाँ जाएँगे?"
हमारी बात सुनकर युवक नए स्लोगन के साथ फिर से 'नारी बचाओ' अभियान में लग गए- "बेचारे साठ लड़कों को कल जेल जाने से बचाना है तो आज ही नारी को बचाना है!"
'आप लड़कियों को बेवजह बदनाम कर रहे हैं। भला लड़कियाँ कहाँ लड़कों को पटाती हैं?' कहकर मुँह बनाने वालों का मुँह बन्द करने के लिए समाचार-पत्रों में प्रकाशित एक समाचार 'एक कॉलेज में एक बॉय फ्रेण्ड के लिए दो लड़कियों ने आपस में मारपीट कर ली और मामला पुलिस स्टेशन तक जा पहुँचा।' ही पर्याप्त है! अब चलते-चलते एक राज़ की बात भी बता दें। अन्तर्जाल में युवक के भेष में एक युवती ही 'नारी बचाओ' अभियान चला रही थी। देखा आपने- लड़की खुद लड़का बनकर पूछ रही थी कि 'बाइक के पीछे लड़कियाँ चाहिए या टाइगर?' किन्तु मुझे आज तक यह पता नहीं चल पाया कि वह लड़कियों की चिन्ता कर रही थी या लड़कों की? (Source: WS2)
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