Re: चाणक्यगीरी
कालिदास और विद्योत्तमा के विवाह की कहानी से कौन परिचित नहीं है? विद्योत्तमा द्वारा राजमहल से निकाले जाने के बाद की कहानी सिर्फ़ कालिदास के इर्द-गिर्द ही घूमती है, कहीं पर भी साहित्य की प्रकाण्ड विद्वान विद्योत्तमा का ज़िक्र नहीं है। इस प्रकार इतिहासकारों ने विद्योत्तमा के साथ बहुत अन्याय किया। यह कमी हमें कई वर्षों से खटक रही थी। अतः हमने निर्णय लिया कि इन ऐतिहासिक पात्रों को आधार बनाकर एक हास्य कहानी लिखेंगे और कहानी में हर जगह विद्योत्तमा का पात्र डालकर हम कालिदास से जबरदस्त बदला लेंगे। एक बार फिर हम अपने पाठकों को बता दें कि 'चाणक्यगीरी' सूत्र ऐतिहासिक पात्रों विद्योत्तमा, कालिदास, चाणक्य और वाल्मीकि को आधार बनाकर लिखी गई हमारी काल्पनिक हास्य कहानी 'आइ एम सिंगल अगेन' के प्रोमोशन के लिए बनाया गया है। चाणक्यगीरी के इस भाग में पढ़िए- 'मालव देश का विभाजन'।
मालवदेश में चाणक्य का जितना नाम ख़राब था उतना संसार में कहीं नहीं था। चाणक्य से 'नाखून खरबोटी' दुश्मनी प्रदर्शित करने के लिए विद्योत्तमा ने मालवदेश में जगह-जगह पर बड़े-बड़े बोर्ड लगा रखे थे जिनपर चाणक्य की तस्वीर के नीचे लिखा था- 'कुत्ते से सावधान'। चाणक्य के पूछने पर विद्योत्तमा ने हँसते हुए बताया था- 'मैं चाहती हूँ- मालवदेश में तुम्हारी तस्वीर हर जगह लगी रहे जिससे मैं तुम्हें कहीं पर भी देख सकूँ। महारानी हूँ। खुल्लमखुल्ला इश्क लड़ाऊँगी तो बदनाम हो जाऊँगी। लोगों को बेवकूफ़ बनाने के लिए तस्वीर के नीचे कुत्ते से सावधान लिखवा दिया है। बुरा क्यों मानते हो? अगर तुम कुत्ते हो तो मैं तुम्हारी कुतिया हूँ। और वो अजूबी है न, मेरी सेनापति। वह छोटी कुतिया है।' किन्तु उस समय चाणक्य के कान खड़े हो गए जब सर्वदेश महासंघ की बैठक में विद्योत्तमा ने चाणक्य को दुनिया का सबसे खतरनाक इन्सान बताते हुए कहा था- 'चाणक्य वो ख़तरनाक शख़्स है जिसने भोजन-पानी के मसले पर नाराज़ होकर नन्द वंश का तख्ता पलट कर दिया और एक मूँगफली बेचने वाले को सम्राट बनाकर रबर स्टाम्प राजतंत्र की अलौकिक परम्परा की शुरूआत की। ऐसा उदाहरण आज तक इतिहास में न मिला है, न मिलेगा। सम्राट चन्द्रगुप्त रबर स्टाम्प है और चाणक्य के पास कोई पद न होने के कारण चाणक्य खुद डमी है, किन्तु वो बहुत बहुत बहुत खतरनाक है। इसीलिए हमने मालवदेश के हर गली-कूँचे में चाणक्य की तस्वीर लगाकर नीचे लिखवा रखा है- कुत्ते से सावधान। हमारे सर्वदेश महासंघ में डमी लोगों द्वारा चलाए जा रहे मौर्य देश का होना हम असली राजा-महाराजाओं और रानी-महारानियों का अपमान है। इसलिए मैं मौर्य देश को सर्वदेश महासंघ से बाहर करने की ज़ोरदार सिफारिश करती हूँ।'
विद्योत्तमा की बात सुनकर सर्वदेश महासंघ के महासचिव बाण-के-चाँद ने हँसते हुए अपनी चिकनी खोपड़ी को सहलाते हुए कहा था- 'मेरी खोपड़ी ऐसे नहीं चिकनी हुई है। नंद सम्राट का सेनापति रह चुका हूँ। चाणक्य के आदेश पर सेनापति प्रचण्ड ने मेरी खोपड़ी पर इतने बाण बरसाए कि मेेरा सिर गंजा हो गया। तब से मेरा नाम बाण-के-चाँद पड़ गया। वह भयानक युद्ध मैंने अपनी आँखों से देखा है। बड़ा भयानक नज़ारा था। चाणक्य की सेना की बाणवर्षा से हर ओर हमारे सैनिकों के बाल बिखरे पड़े थे। गंजा होने के डर से हमारे सैनिकों में भगदड़ मच गई थी। स्वयं नंद सम्राट बाल बचाकर इधर-उधर भाग रहे थे। मेरे गंजा होते ही नंद सेना ने हथियार डाल दिया और नंद सम्राट को गिरफ़्तार करके उनका सिर घोंटकर गंजा बना दिया गया। मज़ाक कर रही हैं आप। ऊपर वाले की दुआ से आप खूबसूरत महिला हैं। चाणक्य से पंगा लेकर सिर गंजा हो गया तो आपकी सुन्दरता को ग्रहण लग जाएगा। मेरी बात मानिए तो दक्षिण भारत से होने के कारण चाणक्य को अप्पम् बहुत पसन्द है। आप अप्पम् बनाना सीख लीजिए और चाणक्य को हर महीने अप्पम् की दावत देकर खुश रखिए। स्वादिष्ट अप्पम् खाने की लालच में चाणक्य कभी आपके देश पर हाथ नहीं डालेगा। आपकी बात मानकर हमने सर्वदेश महासंघ से मौर्य देश को बाहर कर दिया तो फिर सर्वदेश महासंघ में एक ही देश बचेगा.. और उस देश का नाम होगा- मौर्य देश।'
चाणक्य के पूछने पर विद्योत्तमा ने चाणक्य को समझाते हुए कहा था- 'देखो, इसमें बुरा मानने की क्या बात है? सीधे का मुँह कुत्ता चाटता है और खतरनाक से सभी डरते हैं और इज़्ज़त करते हैं। मैंने तुम्हें खतरनाक बताकर तुम्हारी इज़्ज़त बढ़ाई है, घटाई नहीं।'
चाणक्य ने कहा- 'और तुम मौर्य देश को सर्वदेश महासंघ से बाहर निकालने की ज़ोरदार सिफारिश कर रहीं थीं?'
विद्योत्तमा ने हँसते हुए कहा था- 'सारे देश मौर्य देश से डरते हैं। मौर्य देश के खिलाफ कोई बोलने की हिम्मत भी नहीं करता। ऐसे मौर्य देश के खिलाफ़ मैं बोलूँगी तो सर्वदेश महासंघ में मेरा कद बड़ा होगा। सबके सामने मेरा कद बड़ा होगा तो तुम्हें बड़ी खुशी होगी कि तुम्हारी प्रिय विद्योत्तमा का कद बढ़ रहा है। तुम्हें खुश करने के लिए ही मुझे ऐसा बोलना पड़ा। लगता है- तुम्हारा मूड बहुत खराब हो गया। चलो, आइस्क्रीम खाते हैं।'
चाणक्य की समझ में नहीं आया था कि विद्योत्तमा उसका भला कर रही है या बुरा? शक़ गहराने पर चाणक्य ने विद्योत्तमा से मालव देश के राजपत्र में मौर्य देश का नाम मित्र देशों की सूची में सम्मिलित करने के लिए कहा था जिसे विद्योत्तमा ने ठुकरा दिया था। इसीलिए चाणक्य विद्योत्तमा से नाराज़ होकर बिना विद्योत्तमा से बताए मौर्य देश वापस चला गया था। यह बात विद्योत्तमा को अच्छी न लगी और उसने चाणक्य को मालव देश में बुलाने के कई प्रयास किए किन्तु चाणक्य ने स्पष्ट रूप से कह दिया था- 'जब तक मौर्य देश को मित्र देशों की सूची में शामिल नहीं किया जाएगा तब तक वह मालवदेश में नहीं आएगा।' वैसे तो विद्योत्तमा का अधिकतर समय भिखारिन विद्यावती के रूप में मौर्य देश में ही गुजरता था, किन्तु विद्योत्तमा चाहती थी कि चाणक्य उसके देश में आकर रहे और चाणक्य अपनी शर्तें पूरी हुए बिना मालव देश में आने वाला नहीं था। बीच का रास्ता निकालने के लिए विद्योत्तमा ने अजूबी के साथ मिलकर एक योजना बनाई। योजना के अनुसार विद्योत्तमा ने यालवरानी के भेष में और अजूबी ने बेला के भेष में मौर्य देश की सीमा से सटे मालव देश के नगरों में बसे युवकों को विद्योत्तमा के खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया। चाणक्य की धर्मबहन और विद्योत्तमा की राज-ज्योतिषी ज्वालामुखी शीतलमुखी के भेष में विद्योत्तमा के खिलाफ़ उल्टी-सीधी भविष्यवाणियाँ करके जनता को भड़काने लगी। इसके कारण मौर्य देश की सीमा से सटे मालवदेश के कई नगरों में विद्रोह हो गया। विद्रोहियों के साथ मिलकर यालवरानी और बेला ने आधे मालवदेश पर रातों-रात कब्ज़ा करके यालवदेश का गठन कर लिया। यालवरानी बनी विद्योत्तमा नए यालवदेश की महारानी बन गई और बेला के भेष में अजूबी सेनापति बन गई। नए बने यालवदेश को शीघ्र ही सम्पूर्ण विश्व में मान्यता मिल गई। विद्योत्तमा ने अपनी आदत के मुताबिक मालवदेश जाकर मालवदेश के विभाजन के पीछे चाणक्य का प्रायोजित आतंकवाद बताया।
Last edited by Rajat Vynar; 03-08-2015 at 06:56 PM.
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