Re: हैप्टिक की मोबाइल मैसेजिंग सेवा
वर्ष 2013 में इनकी मेहनत सफल हुई और इन्होंने ‘बैटमैन’ के नाम से मोबाइल मैसेजिंग एप लाँच की। बाद में इसके वर्तमान नाम ‘हैप्टिक’ की कहानी भी कम रोचक नहीं है। ‘‘हम तीनों ने एक्सेल वर्कशीट पर 100-100 नाम सोचकर लिखे और आखिर में इस नाम पर हमारी सहमति बनी। ‘हैप्टिक’ मूलतः जर्मन शब्द ‘हैप्पिक’ से बना है जिसका मतलब ‘मूल मौखिक प्रतिक्रिया’ है।’’
अकृत कहते हैं कि ‘हैप्टिक’ के लाँच होने के बादउनकी जिंदगी बदल गई है और बीते वर्ष में उन्होंने बहुत तरक्की की है। ‘‘हमारी कंपनी में बाहर के लोगों ने निवेश किया और अब हम एक बड़े आॅफिस में आ गये हैं। हमारे एप की मदद से रोजाना हजारों की संख्या में ग्राहक संतुष्ट हो रहे हैं। यह सब बहुत सुखद है।’’
‘हैप्टिक’ को कोई भी स्मार्टफोन उपयोगकर्ता अपने फोन में डाउनलोड करके उसमें पहले से ही मौजूद कंपनियों को चुनकर मैसेज भेज सकता है। जैसे ही कंपनी के प्रतिनिधी को संदेश प्राप्त होता है वह उपयोगकर्ता को मैसेज के द्वारा ही उत्तर देता है और उसकी संतुष्टि तक यही क्रिया चलती रहती है।
‘‘हमने पाया कि बहुत से उपयोगकर्ताओं को कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराई गई सेवाओं के बारे में इंटरनेट पर जानकारी खोजने में बहुत समय जाया करना पड़ता है। ‘हैप्टिक’ उपयोगकर्ताओं की इस तकलीफ को काफी हद तक खत्म करता है क्योंकि इसमें अधिकतर कंपनियों के बारे में पहले से ही सूचनाए उपलब्ध हैं और उपयोगकर्ता हमारी एप पर संबंधित कंपनी खोज सकता है जो उसका काफी समय बचाती है। शायद यही हमारी खूबी भी है।’’
लुकअप मैसेंजर, येलो मैसेंजर, लोकलोय और कई अन्य मैसेजिंग एप आने के बाद निश्चित ही इस क्षेत्र में मुकाबला बढ़ा है और लगभग प्रतिमाह कोई न कोई नई एप बाजार में लाँच हो रही है।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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