हमारी पढ़ाई लिखाई
हमारी पढ़ाई लिखाई
बचपन से पढ़ाई में वैसे तो हम तेज थे
पटरी मीटर गेज थी हम इंजन नैरो गेज थे
गणित को मुझसे बिना बात के कुछ एलर्जी रहती थी
साइंस और मुझमें न जाने क्यों सदा अदावत रहती थी
अंग्रेजी मेरे सिर के ऊपर से हो कर जाती थी
हिंदी भाषा भी मेरे निकट आते हुये घबराती थीं
सोशल साइंस ठीक तरह से समझ नहीं हम पाते थे
संस्कृत पढ़ते हुये पसीने छूट हमारे जाते थे.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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