Re: हम आज में क्यों नहीं जीते?
माँ जी ने बात तो सही बताई पर हकिकत जीना बहुत ही मुश्कील या लगभग असम्भव सा है !!
भुतकाल से हमेशा शिक्षा लेनी चाहीये । इसको माँ जी के अनुसार चाहे तो सेटल कर सकते है । ...और हम आज में भी आसानी से जी सकते है !!!
...पर भविष्य के बारे में माँ जी वाली बात सम्भव नहीं है !! दूनिया की गति ही रूक जायेगी !!
भविष्य की कपोल कल्पित कल्पनाओं में जीने वाले की हालत तो —सोम शरमा पितु कल्पना विलास: जेसी हो जायेगी !! इसलिए ये नादानी है अस्तु नहीं करनी चाहीये !!
पर भविष्य की चिन्ता का क्या करें ??? भविष्य की चिन्ता तो वर्तमान की कोख से ही जनम लेती है !! क्यों की वर्तमान सत्य होता है , आईना होता है । आदमी को गणित दिख जाती है और स्वाभाविक रूप से जो चिज पैदा होती है वो है भविष्य की चिन्ता !!! इससे कोई कैसे बच सकता है ???
...और भविष्य का दूसरा नाम लक्ष्य है और लक्ष्य के बारे में ना सोचे तो दूनिया की गति ही रूक जायेंगी !!
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