Re: हम आज में क्यों नहीं जीते?
आपके सारपूर्ण विचारों के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ. अरविंद जी. परन्तु मैं यहाँ यह जोड़ना चाहता हूँ कि बहुत से लोग जो बीत गया है, उस पर, और जो अभी नहीं आया है, उस पर, जरुरत से अधिक सोच कर ध्यान, श्रम व शक्ति का अपव्यय करते हैं. अपने जीवन काल के इन खंडों को उतनी ही प्राथमिकता में रखें जितने के वे हकदार हैं. दूसरी ओर, क्योंकि जैसा आपने कहा कि भविष्य वर्तमान के गर्भ से ही उपजता है, अतः वर्तमान पर हमें अपना चिंतन, संसाधन, परिश्रम, आयोजना एवम् क्रियान्वयन केंद्रित करना अपेक्षित है, ताकि हमें भविष्य में वांछित परिणाम प्राप्त हो सकें.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 15-10-2015 at 04:18 PM.
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