19-10-2015, 08:10 PM
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#1141
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by rajnish manga
बहुत सुंदर, सूरज जी.
मैं भी हाथ बढ़ा कर छूता
लेकिन चाँद बहुत ऊंचा था
होंठ रहे फिर बरसों सूखे
ख्वाब में इक दरिया देखा था
(तारिक़ क़मर तारिक़)
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था आज भी दश्त-ए-बला में नहर पर पहरा
कितनी सदियों बाद मैं आया मगर प्यासा रहा
(अख्तर सईद खान)
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