23-10-2015, 05:50 PM
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Super Moderator
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Re: ये कैसी भक्ति है ?
Quote:
Originally Posted by internetpremi
एक चुटकुला :
गरीबों और अमीरों के बीच क्या अन्तर है?
उत्तर: गरीब मन्दिर के बाहर भीख माँगते हैं और अमीर मन्दिर के अन्दर।
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आपके विचारों से सहमत हूँ।
मेरी राय में भी, दूध, नारियल, चावल, घी, वगैरह की बरबादी नहीं होनी चाहिए
चाहे तो शास्त्रों की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए, एक या दो चमच दूध/घी/शहद वगैरह प्रसाद चढाकर, बाकी मन्दिरों में गरीब भक्तों मे बाँट दिया जाए.
यू एस ए में मन्दिर बहुत कम हैं और भीड भी बहुत कम। पर साफ़ होते हैं और भक्तों की अनुशासन में कोई कमी नहीं।
यहाँ भारत में कई मन्दिरों में जाने में मुझे हिचक होती है। यू एस ए में खुशी खुशी से जाता हूँ।
gv
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आपके चुटकले और मंदिर व्यवस्था पर टिप्पणी ने मुझे बहुत प्रभावित किया. आपके विचारों का मैं पूरी तरह समर्थन करता हूँ. यही कारण है कि विशेष पर्वों के अवसर पर मैं मंदिर जाना अवॉयड करता हूँ या उस समय जाना पसंद करता हूँ जब भीड़ भाड़ न हो.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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