26-10-2015, 09:38 PM
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#1149
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by rajnish manga
ताऊ चाचा खो गए, खोये अपने गाँव
पैर पसारे शहर ने, ढूंढें मिले न छाँव
हरकू माथा पीटता, सोच रहा हैरान
गाँव बना है भेड़िया, शहर हुआ शैतान
(सूरज पाल सिंह चौहान)
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न मौलाना में लग्ज़ि्श है न साज़िश की है गाँधी ने
चलाया एक रुख़ उनको फ़क़त मग़रिब की आंधी ने
(अकबर इलाहाबादी)
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