Re: भाभी जी घर पर है .
तो अगले एपिसोड में हुआ यु की तिवारी जी गाडी लाके तो रख दिए पर अंगूरी भाभी को नौसिखिया होने के चलते उसे चलाने की इजाज़त नहीं थी. वही विभूति मिश्र जी अंगूरी भाभी से कह चुके थे की तो उन्हें गाडी चलने सिखा के रखेंगे. तो भैया रात में कांड करने का निर्णय हुआ दोनों के बीच, अ मने कांड याने की अचुप के गाडी चलाने का, गलत मत सोचो भाई लोग भाभी जीके बारे में, वैसे ज्यादातर रात में कौन सी गाडी चलती है ये हम सब जानते है इसी से ध्यान उधर चला गया होगा खैर .
तो रात १ बजे दोनों निकल पड़े चोरी चुपके गाडी लेके, विभूति जी अंगूरी भाभी के घर के नीचे इंतजार कर रहे थे और अंगूरी भाभी ने ऊपर से चप्पल और गाडी की चाभी फेकी और खुद चोरी से नीचे उतर आई . अब दोनों गाडी लेके निकल पड़े, गद्दी अंगूरी भाभी चला रही थी और विभूति भैया दिशा निर्देश दे रहे थे, बिचारी को अभी क्लच एक्सेलेटर का अंदाज़ा नहीं होगा, गाडी सर्र से निकली और जाके भीड़ गई मोड़ पे रखे कचरे के डब्बे से . हो गयो एक्सीडेंट, चोरी चुप्पे रात में पडोसी की गाडी में बैठने का यही अंजाम होतो है .
ये सारा वाक्य अनीता भाभी ने देख ली , ले भाई हुई चिल्लंद अब तो, खैर अनीता भाभी जे न देख पाई की गाडी में हे कोण, और वे जाके सो गई, जैसे तैसे अंगूरी भाभी और विभूति जी अपनी गाडी सँभालते घर को आए और चप्पे से वे भी सो लिए अपने अपने घर माँ.
तो भाई सबेरे दिखाया जाता है की दारोगा हप्पू सिंह लंगड़ाते हुए सर में पट्टी और पैर में प्लास्टर चध्वे चले आ रहे है . मलखान ने तो खिचाई कर दी, की भाई दरोगा जी कहा से फोड़वा के आ रहे हो, साथ ही एक रैप्ता भी खा गया. तभी सक्सेना जी आ धमके पहले तो जा ने शराफत से बात कई और फिर उतर आओ वो भी बदतमीज़ी पर, खैर दारोगा जी की हालत बुरी सो कैसे तैसे गम पि के रह गए.
तभी अनीता भाभी आई और पूछी की हप्पू सिंह जी ये क्या हो गया आपको. तब हप्पू ने बताया, की एसा है गोरी मेम रात वे मई कचरे के डिब्बे में था ...
इतना कहना ही था की सभी उन्हें आँखे फाड़ के ताकने लागे, अनीता भाभी ने पुचा की आप कचरे के डिब्बे में रहते हो, तब हप्पू ने क्लियर किया की दरअसल बात जे है की एक बदमाश को पकड़ने के लिए रात में वे चुप कर बैठे थे कचरे के डिब्बे में की तभी एक गाडी आई तेजी से और डिब्बे को उड़ाते चली गई . वे उसी गाडी वाले को खोज रहे है. क्या कही देखा है किसी ने.
अनीता भाभी कहती है की रात में एक बजे के करीब उन्होंने तिवारी जी की गाडी बड़ी तेजी से मोड़ की तरफ जाते हुई देखि थी, अब हप्पू का मामला ठनका, उसने जेक तिवारी की गाडी चेक कई, उस पर डेंट पड़ा था वो समझ गया की जे गाडी ही हैगी .
अब जेक उसने तिवारी का दरवाजा का घंटी बजाय, इलेक्ट्रिक शॉक भी खाया, खैर तिवारी ने दरवाजा खोला और दारोगा ने सवाल जवाब शुरू कियो. तभी विभूति जी अंगूरी भाभी भी आ गई, अब अंगूरी भाभी तो मासूम उन्हें पहले कहा पता था की डब्बे में कोई आदमी भी था. हप्पू की बात सुनते ही वे सच बोल गई और विभूति जी और उनकी पोल खुल गई .
इधर तिवारी जी गरम उधर अनीता भाभी दोनों अपने अपने जोड़ीदारो को डपटते हुए घर के भीतर लेते गए, और बिचारे हप्पू की गर्मी कोई देख ही नहीं रहा, हप्पू को अनीता भाभी ने दो चार बार डपट लगा दी सो अलग, अब हप्पू का दिमाग गरम. बिचारा सड़क पे आया उर हवा में फायर किया ताने. तब डर के दोनों परिवार बहार आया, हप्पू ने कई की वो तो अंगूरी भाभी को हवालात ले जाएगा. उनके पास लर्निंग लाइसेंस न था. तभी जाने कहा से गुप्ता नाम का एक आदमी आ जाता है, जिसे देखे के हप्पू सक्पनके लगता है, गुप्ता बार बार जा से पुच रहो है की उसकी चोरी गाडी की रपट लिखी थी उसने हप्पू ने कहा था की गाडी मिल भी गई है तो उनसे दी कहे न अभी तक. हप्पू जैसे तैसे उसे टालने की कोशिश कर रहा है. तभी उसकी नजर तिवारी की गाडी पे पड़ती है, वही गाडी जो खुद हप्पू ने बेचीं थी और जिससे अंगूरी भाभी ने हप्पू को ठोक भी दिया था. अब हप्पू जैसे तैसे मामल रफा दफा करता है दांत दिखा के अंगूरी भाभी से कहता है की भाभी जी ऐसो है की सिखने सिखाने में कभी कभी गलती हो ही जाती है, चलो कोई बात न है आगे से ध्यान रखियो. इस तरह जैसे तैसे मामला रफा दफा होतो है .
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