03-11-2015, 10:05 PM
|
#1156
|
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
|
Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by suraj shah
निगहे - लुत्फ़ से जो मिलती है,
हाय वो जिन्दगी नहीं मिलती।
यूँ तो मिलन को मिल गया है ख़ुदा,
पर तेरी दोस्ती नहीं मिलती।
( फ़िराक़ गोरखपुरी )
|
तब्सरा क्या पूछते हो आज के हालात पर
आज सर अपना हथेली पर लिए फिरता हूँ मैं
(जगन्नाथ आज़ाद)
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|
|
|