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Originally Posted by rajnish manga
बहुत सुंदर. आपकी इस कविता को पढ़ते हुये मुझे लगा कि जैसे मैं कोई लोक गीत पढ़ रहा हूँ जिसकी स्वर लहरी अभी तक कानों में गूँज रही है. बहुत भावनात्मक एवम् मर्मस्पर्शी कविता है. इसकी सबसे बड़ी खूबी यह लगी कि इसमें कवि निजी स्वार्थों से ऊपर उठ कर समाज को दूसरों के दुःख दर्द दूर करने का आह्वान करता है. यह एक आदर्श सन्देश है. आपको बहुत बहुत धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.
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हार्दिक आभार सह बहुत बहुत धन्यवाद भाई , आपने कविता को लिखने के मर्म को समझा और सराहा यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है .. इंग्लिश न्यू इयर के लिए देर है है किन्तु हिन्दू नए वर्ष के आने के बाद के मन मे उठते भावों को बस जरा शब्दों में ढाल दिया था मैंने भाई .. पता नहीं था की लोक गीत सी बन गई कविता आपकी दी टिपण्णी से ये ज्ञात हुआ मुझे . प्रेरणादायक टिपण्णी ..