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Originally Posted by vijay bhardwaj
क्या भूमिका निभाउंगा मैं, अखंड भारत के उत्थान में।
रुकना नहीं है मुझको थककर, इस युग निर्माण में।
आए हो जब इस धरती पर, धर्म अपना निभाना होगा।
अपना हिसाब चुकाना होगा, कुछ करके ही जाना होगा।
मासूम चेहरों को खिलखिलाना होगा, इस देश को आगे जाना होगा।
अपनी भूमिका बतलाना होगा, और आसमाँ छू जाना होगा।
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येही देश भक्ति की भावना से हरेक भारतीय भर जाय तो आज कोई समस्या ही न हो बहुत सुन्दर रचना के साथ आपके विचार भी उच्च हैं विजय जी ..