Re: aaj ki yuva pidhi
[QUOTE=rajnish manga;560153][size=3]युवा वर्ग में दिखाई देने वाली इन नेगेटिव आदतों के पीछे निम्नलिखित कारण विशेष रूप से जिम्मेदार हैं:
1. पारिवारिक संबंधों में परंपरागत मूल्यों का ह्रास. मेरा यह मानना है कि माता पिता का रोल युवाओं के लिये इतना ही रह गया है कि वे उनकी हर प्रकार की ज़रूरतें पूरी करते रहें लेकिन उनके व्यवहार की खामियों पर कोई टिप्पणी न करें. उन्हें परम्परा के नाम पर पुरानी (यानी डाकियानूसी) बातें सिखाने की कोशिश न करें. दूसरी ओर, माता-पिता द्वारा भी घर में ऐसे वातावरण का निर्माण नहीं किया जाता जिससे बच्चों में अपनी संस्कृति के प्रति सहज खिंचाव या लगाव पैदा हो. इससे परिवार के सभी सदस्यों में आपसी सद्भाव और परस्पर आदर व समझ विकसित हो. जब हर परिवार इन सिद्धांतों पर चलेगा तो परंपरागत मूल्य अपने आप स्थापित होंगे.
2. स्कूलों या कॉलेजों में छात्रों के चरित्र निर्माण की ओर ध्यान नहीं दिया जाता बल्कि फेक्ट्रीयों के उत्पादन की तरह शिक्षित लोगों का टर्नओवर बढ़ाया जा रहा है. इसमें गुणात्मक विकास से ज्यादा संख्या बढ़ने पर जोर होता है.
सबसे पहले आपका स्वागत है भाई साथ ही बहुत बहुत धन्यवाद आपकी अपनी अमूल्य राय देने के लिए आपने सुलझे विचारों से हमें अवगत करने के लिए .
आपने बेहद सुरुचिपूर्ण ढंग से और सविस्तार से सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अपने विचार यहाँ रखे शायद मैं मन की बात जुबां पर नहीं ला पा रही थी शायद शब्द नहीं मिल रहे थे इसलिए ही कहती हूँ न मैं हमेशा की आपसे हम सबको बहुत कुछ सीखना बाकि है भाई आशा है इसी तरह आप हम सबका मार्गदर्शन करते रहेंगे
सही कहा आपने भाई आपने जितने कारन दिए सब सही हैं किन्तु अपनी बात को सही ढंग से समझाने केलिए मैं एक पार्टी की आँखों देखि बात यहाँ अवश्य रखना चाहूंगी , मैंने देखा कुछ बालिकाओं को जिन्होंने हाथों में शराब के गिलास पकडे हुए थे अजीब से कपडे थे उनके और सिगरेट के कश लिए जा रही थीं वें इतने में जिनके घर पार्टी थी ऊसी घर की एक बुजुर्ग महिला आइन तब सबने उनके पैर छुए और आशीर्वाद भी लिए अब सवाल ये उठता है की आपको अपनी संस्कृति याद है की बड़े आयें तो उनके सम्मान में खड़े हो जाओ बड़ों के पैर छुओ फिर ये क्यों वो लोग भूल रहे हैं की हमारी सभ्यता हमें दारू पीना सिगरेट पीना नशा करना नहीं सिखाती नशे में धुत होकर अश्लीलता करना नहीं सिखलाती हमारी सभ्यता और संस्कृति को आज विदेशी लोग नमन कर रहे हैं तब हम क्यूँ अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं ? याने ये दोहरा बर्ताव मेरी समझ से बहार था भाई
बचपन से ही बच्चे के मन में ये बात बिठा दी जाय की नशा कितना नुकसान देह है हमारे जीवन के लिए , नशा फिर वो चाहे सिगरेट हो दारू हो या अफीम ,गांजा ,या चरस का हो वो बर्बादी की और ही ले जाता है हरेक इन्सान को तो शायद समाज में कुछ फीसदी सुधार होने की सम्भावना है .
. कुछ फीसदी इसलिए कहा क्यूंकि आजकल बच्चे जितना स्कुल कॉलेज में नहीं सीखते उससे कहीं हजारो गुना ज्यदा इन्टरनेट से सब जानकारियां हासिल करते हैं इसलिए एईसी चीज़े नेट में न देख सके बच्चे इसके लिए शासन के द्वारा कदम उठाये जाय तब भी शायद कुछ फर्क पड़े .
धयवाद भाई .. आशा है इस बहस में आपका सहयोग हमें फिर से मिलेगा .
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