और आज की हमारी शख्सियत हैं (17 जनवरी)
मुहम्मद अली / Muhammad Ali
मुहम्मद अली (मूल नाम- कैसियस क्ले) ने सन 1960 में मुक्केबाज़ी का ओलिंपिक स्वर्ण पदक हासिल किया. उसके बाद सन 1964 में वे विश्व हैवी वेट चैंपियन बने. बाद में, सन 70 के दशक में उन्होंने दो बार यह चैंपियनशिप जीती जब उन्होंने जो फ्रेज़ियर और जॉर्ज फ्रीमैन को पराजित किया. 1984 में वे पार्किंसन रोग से ग्रस्त हो गए. लेकिन इस सब के बीच वे समाज की भलाई के कामों से जुड़े रहे और दान दाता के रूप में भी जाने जाते थे. 2005 में उन्हें राष्ट्रपति का स्वतंत्रता पदक भी प्रदान किया. अपनी बिमारी से वे हार गए और 74 वर्ष की आयु में 3 जून 2016 को वे इस संसार को अलविदा कह गए. उनके कहे हुये शब्द न सिर्फ़ खिलाड़ियों को प्रेरित करते रहेंगे बल्कि सामान्य व्यक्तियों को भी आगे बढ़ने में मदद करते रहेंगे. उनमे आत्मविश्वास का यह हाल था कि वे खुद को ‘I Am The Greatest’ कह कर प्रचारित करते थे. अपने चाहने वालों के दिल में में वे हमेशा ‘महानतम मुक्केबाज’ के रूप में आसीन रहेंगे.
उनके कुछ उल्लेखनीय विचार:
मैं ट्रैनिंग के हर एक मिनट से नफरत करता था, लेकिन मैंने खुद से कहा, हार मत मानो। अभी सह लोगे तो अपनी बाकी की ज़िन्दगी एक चैंपियन की तरह
बिता सकोगे ।
वह जो जोखिम उठाने का साहस नहीं करता वो अपने जीवन में कुछ भी हासिल नहीं कर सकता।
मैं एक साधारण इंसान हूँ जिसने खुद में मौजूद प्रतिभा के विकास में कड़ी मेहनत की मैने खुद पर विश्वास रखा और मैने दूसरों की अच्छाई पर भी विश्वास रखा।
लोगो की सेवा करना, धरती पर आपके कमरे का किराया है।
चेम्पियन किसी जिम में नहीं बनाये जाते है। चेम्पियन तो एक ऐसी चीज से बनाये जाते हैं, जो उनके अंदर होती है – एक इच्छा, सपना, विज़न ।बस उनके पास कौशल होना चाहिये।