हमारे बहादुर सैनिकों की मौत का ज़िम्मेदार è
हमारे बहादुर सैनिकों की मौत का ज़िम्मेदार कौन?
देश के किसी भी भाग में क्जब प्राकृतिक आपदा आती है (जैसे श्रीनगर, केदारनाथ या चेन्नई में आयी थी) तो हमारी बहादुर सुरक्षा सेनाओं के दस्ते विषम परिस्थितियों में अपनी जान की परवाह न कर के हम जैसे नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाते हैं या हमारे अपने स्थान पर ही सुरक्षा प्रदान करते हैं. यह कितने दुःख की बात है कि पिछले तीन दिन में हमारे 15 अफ़सर तथा जवान जम्मू कश्मीर के दुर्गम व ऊँचे पहाड़ों पर एवलांच (हिम स्खलन) की वजह से मौत के मुँह में चले गए. देश की सीमाओं की रक्षा करते हुये या आतंकवादियों से मुकाबला करते हुये शहीद हो जाना और बात है लेकिन इस प्रकार की शहादत दुःख के साथ साथ कई सवाल भी छोड़ जाती है. हर वर्ष हमारे बहुत से सैनिक इसी प्रकार की दुर्घटनाओं के कारण अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. दो मिनट के मौन से और कुछ लाख रुपयों के मुआवज़े से इन जानों की भरपाई की जा सकती है और पीछे रह गए प्रियजनों / परिवारजनों की आँखों के आंसुओं की अविरल धारा को शांत किया जा सकता है. इन वीर सैनिको को सादर श्रद्धांजलि देते हुये हम इस देश के कर्णधारों से जानना चाहते हैं कि क्या सैनकों की जान की कोई कीमत है या नहीं. उनकी मौत का ज़िम्मेदार कौन है?
जो बहादुर सैनिक हमें निरापद रखने के लिये सदा तत्पर रहते हैं और अपनी जान हथेली पर रखते हैं, क्या उन्हें ऐसी आपदाओं से बचाने के लिये हम कोई कारगर तकनीक विकसित नहीं कर सकते जिससे उन साहसिक योद्धाओं की ऐसी दुर्घटनाओं के समय जान बचाई जा सके जो आपदाओं में हमारी जान बचाते हैं?
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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