कहानी का रूपान्तरण
कभी-कभी ऐसा होता है कि लेखक पाठकों को एक ही कहानी बार-बार सुनाता है, किन्तु पाठकों को पता तक नहीं चलता और वे यह समझते रहते हैं कि हर बार उन्हें एक नई कहानी सुनाई जा रही है। यही नहीं, लेखकों की सभी रचनाएँ काल्पनिक होने के वैधानिक ठप्पे के साथ प्रकाशित की जाती हैं और पाठकों को पता तक नहीं चलता कि रचनाओं में कहीं न कहीं थोड़ा बहुत सत्य छिपा हुआ है।
आखिर कैसे सम्भव है यह? यह चमत्कार कहानी के रूपान्तरण (Transformation) पर आधारित है। वस्तुतः कहानी के रूपान्तरण की इस कला को किसी कहानी को सफाई के साथ चुराने (Crib) के लिए किया जाता है। कहानी के रूपान्तरण की इस कला के प्रयोग द्वारा ही अँग्रेज़ी उपन्यासों और अँग्रेज़ी फ़िल्मों की कहानियों को रूपान्तरित करके एक नई कहानी के रूप में प्रस्तुत कर दिया जाता है। कहानी के रूपान्तरण की इस चमत्कारी कला का प्रयोग भारतीय फ़िल्म उद्योग में व्यापक रूप में होता है। कई फ़िल्मों की उत्तर कथा (Sequel) कहानी के रूपान्तरण की इस चमत्कारी कला के प्रयोग द्वारा ही लिखी जाती है। यही नहीं, कई फ़िल्मों का पुनर्निर्माण (Remake) भी कहानी के रूपान्तरण की इसी चमत्कारी कला का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
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