Re: सरदर्द का इलाज उर्फ़ भक्त का समर्पण
निश्छल प्रेम के बारे में ये जो लेख है बहुत गहन है भाई भगवन से भक्त का सच्चा प्रेम कोई गोपियों से सीखे उनकी बराबरी तो कोई नहीं कर सकता। किन्तु हमारे मानव समाज की बात करें तो शिष्टाचार थोड़ा ही सही, आ ही जाता है जैसे की एक माँ औऱ बच्चे का प्रेम। .. एक माँ अपने बच्चे से अनहद प्यार करती है उसके लिए सब सुख न्योछावर करती है किन्तु एक उम्र के बाद कुछ शिष्टाचार का पालन जरुरी होता है
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