Re: बॉलीवुड शख्सियत
राज कपूर / Raj Kapoor
राज कपूर के राजू प्रारुप ने कई फिल्मों में राज कपूर का प्रतिनिधित्व किया परन्तु जैसे उनकी हर बात योजनाबद्ध तरीके से होती थी उसी तरह जब एक बार उन्होने आत्मकथात्मक रुप में बनायी गयी फिल्म मेरा नाम जोकर बना ली और उसमें राजू – एक जोकर, एक शो मैन, एक तमाशाबीन मर गया तो उसके बाद वे कभी भी परदे पर राजू बन कर नहीं आये बल्कि अपने पात्र राजू की मौत के बाद वे अपने द्वारा निर्देशित किसी भी फिल्म में अभिनय करने भी नहीं उतरे। उन्होने मेरा नाम जोकर के द्वारा नायक के रुप में अपनी अंतिम कहानी दिखा दी थी।
मेरा नाम जोकर में ही ऋषि कपूर ने उनके राजू का बचपन का रोल किया था बल्कि उनकी अगली फिल्म बॉबी में राज कपूर ने अपनी विरासत (अभिनय वाले राज, राजू की विरासत)उन्हे राजा के रुप में सौंप दी।
राज कपूर को एक ऐसी उपस्थिति माना जा सकता है हिन्दी सिनेमा के इतिहास में जिनकी मौजूदगी मात्र से कितने कलाकार अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाये। वे केवल खुद अच्छा अभिनय करके और खुद अच्छी तरह निर्देशन करने वाले कलाकार ही नहीं थे वरन वे एक ऐसे कलाकार थे जो अपनी टीम के सद्स्यों से बेहतर से बेहतर प्रदर्शन ले सकते थे। उनमें नेतृत्व के गुण थे। एक अच्छे निर्देशक के लिये अपनी टीम को इस तरह संभालना जरुरी होता है जिससे कि सभी सद्स्य अपना बेहतरीन प्रदर्शन देने की ओर प्रोत्साहित हों। वे खुद भी कहा करते थे कि वे एक संगीत में ऑरकेस्ट्रा को संचालित करने वाले कंडक्टर मात्र हैं जो सबसे अच्छी तरह उनके वाद्य यंत्र बजवा लेता है। श्रेय देने में वे कभी भी पीछे नहीं रहे और उन्होने कहा कि दरअसल उनकी फिल्मों में उनसे ज्यादा उनकी टीम के सदस्यों का योगदान है और उन्होने उन सबसे बहुत कुछ सीखा है। ऐसा कहना इतने बड़े फिल्मकार का बड़प्पन और उनकी नम्रता थी।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|