Re: किस्सा तीन बहनों का
किस्सा तीन बहनों का
बड़ी और मँझली बहन की शादी उसी दिन क्रमशः नानबाई और बावर्ची के साथहो गई। छोटी का विवाह पूरी धूमधाम से बादशाह के साथ कुछ दिन बाद हुआ औरउसे शाही जनानखाने में पहुँचा दिया गया। दोनों बहनों को छोटी के भाग्य सेबड़ी ईर्ष्या हुई। वे सोचतीं और आपस में कहा करतीं कि छोटी को तो एक बातमुँह से निकालने पर ही राजपाट मिल गया और हम लोग उसकी एक तरह से नौकरानियाँहो गईं। एक दिन बड़ी ने मँझली से कहा, यह छोटी ऐसी कौन-सी हूर परी है किइसे बादशाह ने ब्याह लिया। मुझे तो इस बात से बड़ा बुरा लग रहा है। मँझलीबोली, मुझे भी बड़ा बुरा लग रहा है। आखिर बादशाह ने उसमें क्या देखा कि उसेमलिका बना लिया। कही हुई बातों का क्या है, आदमी हर तरह की बातें करता है।मेरी समझ में तो छोटी नहीं बल्कि तुम बादशाह के योग्य थीं। बड़ी ने कहा, मुझे भी यह देख कर आश्चर्य है कि बादशाह की क्या आँखें फूट गई थीं जो उसनेउस चुहिया को पसंद किया, उससे तो तुम हजार दरजे अच्छी थीं।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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