Re: पंचतत्व सृष्टि बनी
पंचतत्व सृष्टि बनी
आकाश (The Space)
आकाश तत्व का स्वामी ग्रह गुरु है. आकाश एक ऎसा क्षेत्र है जिसका कोई सीमा नहीं है. पृथ्वी के साथ्-साथ समूचा ब्रह्मांड इस तत्व का कारकत्व शब्द है. इसके अधिकार क्षेत्र में आशा तथा उत्साह आदि आते हैं. वात तथा कफ इसकी धातु हैं.
वास्तु शास्त्र में आकाश शब्द का अर्थ रिक्त स्थान माना गया है. आकाश का विशेष गुण "शब्द" है और इस शब्द का संबंध हमारे कानों से है. कानों से हम सुनते हैं और आकाश का स्वामी ग्रह गुरु है इसलिए ज्योतिष शास्त्र में भी श्रवण शक्ति का कारक गुरु को ही माना गया है. शब्द जब हमारे कानों तक पहुंचते है तभी उनका कुछ अर्थ निकलता है. वेद तथा पुराणों में शब्द, अक्षर तथा नाद को ब्रह्म रुप माना गया है. वास्तव में आकाश में होने वाली गतिविधियों से गुरुत्वाकर्षण, प्रकाश, ऊष्मा, चुंबकीय़ क्षेत्र और प्रभाव तरंगों में परिवर्तन होता है. इस परिवर्तन का प्रभाव मानव जीवन पर भी पड़ता है. इसलिए आकाश कहें या अवकाश कहें या रिक्त स्थान कहें, हमें इसके महत्व को कभी नहीं भूलना चाहिए. आकाश का देवता भगवान शिवजी को माना गया है.
>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|