Re: महाभारत के पात्र: द्रोणाचार्य
महाभारत के पात्र: द्रोणाचार्य
द्रोणाचार्य वध की कहानी
महाभारत युद्ध में द्रोणाचार्य को मारना पांडवो के लिए मुमकिन नहीं था. इस पर श्री कृष्णा ने पांडवो को एक तरकीब बताई.
युद्ध का १५ दिन था. द्रोणाचार्य दिव्यास्त्रोो से पांडव सेना को बहुत नुकसान पहुँचा रहे थे. श्री कृष्णा जानते थे की जब तक द्रोणाचार्य के हाथ में अस्त्र शस्त्र हैं तब तक उन्हें हराना मुमकिन नहीं है.
उन्होंने भीम को अश्वथामा नाम के एक हाथी को मारने के लिए कहा. भीम अश्वथामा नाम के हाथी को मार कर चिल्लाने लगे की अश्वथामा मारा गया. द्रोणाचार्य को भीम की बात पर विश्वास नहीं था. उन्होंने युधिष्ठिर से पूछा.
युधिस्टर ने कहा अश्वथामा मारा गया. इतनी बात द्रोणाचार्य ने सुनी. इसके बाद युधिष्ठिर ने कहा की “यह मालूम नहीं की वो हाथी था या मनुष्य. जब युधिस्टर दूसरा वाक्य कह रहा था तब श्री कृष्णा की आज्ञा अनुसार सारे सैनिक बाजे और ढोल बजाने लगे. इस कारण द्रोणाचार्य को दूसरा वाक्य सुनाई नहीं पड़ा.
वे दुःख से निढाल हो गए और अस्त्र शस्त्र छोड़ कर रथ से निचे आ कर ध्यान में बैठ गए. इस बात का फायदा उठा कर तुरंत दृष्ट्द्युम ने उनका सर धड़ से अलग कर दिया.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 05-06-2018 at 09:34 AM.
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