Re: पशु पक्षी और प्यार की देवी गीता रानी
छोटी-सी उम्र में ही गीता को जानवरों और पक्षियों से प्यार हो गया। वे कहती हैं, “किसी ने भी मुझे प्यार नहीं किया। सभी रिश्तेदार मुझसे नफरत करते थे। माता-पिता ने भी मुझे कभी वो प्यार नहीं दिया जो कि एक बेटी के नाते मुझे मिलना चाहिए था। इंसानों से जो प्यार मुझे नहीं मिला, वो प्यार मुझे जानवरों और पक्षियों से मिला। इसी वजह से मैंने भी उन्हीं से प्यार किया।”
माता-पिता की बेरुख़ी और नफरत की वजह ये थी कि गीता की वजह से भी परिवारवालों से दोनों से संबंध सुधर नहीं पाए थे। विजयन और मल्लिगा को अपनी बेटी से ये उम्मीद थी कि वह परिवारवालों का गुस्सा और नाराज़गी दूर करेगी, लेकिन सब कुछ उम्मीद के उलट हुआ। गीता के जन्म के बाद दोनों के परिवार वाले विजयन और मल्लिगा से और भी नफ़रत करने लगे। इतना ही नहीं, शादी के बाद विजयन और मल्लिगा का रिश्ता भी पहले जैसा नहीं रहा। दोनों में अक्सर छोटी-छोटी बातों को लेकर झगड़े होने लगे। बुरे हालात के लिए विजयन और मल्लिगा एक दूसरे को दोष देते और आपस में लड़ते-झगड़ते। इस लड़ाई-झगड़े में गीता प्यार से वंचित रह गयीं, लेकिन गीता ने जानवरों में ही अपना प्यार ढूँढा। चूँकि जंगल पास नहीं था, गीता ने शहरों के जानवरों और पक्षियों से दोस्ती की। अब आवारा कुत्ते, बिल्लियाँ, मुर्गा-मुर्गी, चिड़िया, कव्वे ये सभी उनके दोस्त थे। गीता अपना ज्यादातर समय इन्हीं जानवरों और पक्षियों के साथ बितातीं।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 03-02-2019 at 11:38 AM.
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