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Old 12-04-2023, 04:51 AM   #1
आकाश महेशपुरी
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Default सुनबऽ त हँसबऽ तू बहुते इयार

सुनबऽ त हँसबऽ तू बहुते इयार
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सुनबऽ त हँसबऽ तू बहुते इयार
गइल बारात रहे गंडक के पार

होटल में रुके के रहे बेवस्था
दरिये पर मिल गइल पानी आ नाश्ता

गजबे के रहे ये भाई प्रबंध
बगले से भोजन के आइल सुगंध

खाये के खातिर लोग लाइन लगावल
भोजन बा मस्त सभे इहे बतावल

तहिया के घटना ना अबले भुलाइल
हमहूँ त रहनी ये भइया भुखाइल

सुनबऽ त हमरो के लगबऽ तू कोसे
लिहनी पलेट अउरी लगनी परोसे

गजबे सनेस एगो काने में पऽवनी
पहिला कवर अभीं जइसे उठऽवनी

पत्तल के फेकऽ जनि खइला में लागऽ
इ बेटिहा ह दोसर तू जल्दी से भागऽ

पकड़ल तू जइबऽ होई कुटान
अउरी तू खइबऽ त निकली पिसान

गेटे प नाव पता लागल पुछाये
भीतरे भीतर मन लागल डेराये

खइले बिना गर जे पत्तल गिरऽइतीं
सबका से पहिले तब हमहीं धरऽइतीं

लगनी ये भाई हम जल्दी से खाये
दाल-भात घोंटे आ पूड़ी चबाये

लगनी हम खाना के पानी खाँ गटके
लागल उ पथल खाँ घेंटू में अटके

रहे जवान एगो, पानी लेआइल
चिन्ह गइल हमरा के अइसन बुझाइल

कहलसि कि खा लीं अब रउवो दबा के
नीक नाहीं लागेला कउओ भगा के

रउवो त कउवन से कम नाहीं बानीं
लीं हई पी लीं बिसलेरी के पानी

कहीं त अउरी पनीर लेके आईं
शरम त बाटे ना गब गब खाईं

भले हमार खेत बाटे बेचाइल
रोकीले ना भिखमँगन के खाइल

गलती हो जाला, जनि येतना डेराईं
ठूस ठूस से खाईं आ इज्जत से जाईं

सुनते ई बात भाई लाग गइल सरके
जे आगे रहल सभे हटि गइल फरके

राती में देखनी हम जेठ के दुपहरी
येतना उ इज्जत से भेजल लो बहरी

खाइल त बहुते लो हमहीं धरऽइनीं
कउआ, भिखारी, बेशरम कहऽइनीं

दुसरो बारात तले होटल पर आइल
देखनीं त मनवा में चिंता समाइल

सोचनी ये बेटिहा के होई का हाल
घटि जाई खाना त होई बवाल

होई परिश्रम से पइसा जुटऽवले
येही बेवस्था में रात दिन धवले

एने ये बेटिहा के सूखल परान
ओने वो बेटिहा के होई जियान

घराती के पक्ष पहिले आवे बोलावे
कि पाहुन लो जाते ना पत्तल उठावे

अबके समय लोग कहे ना आवे
तबो बाराती लो खाना प धावे

धइनी हम कान कहीं शादी में जायेब
बिना बोलऽवले ना कवर उठायेब

कविता- आकाश महेशपुरी
दिनांक- 10/04/2023
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वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी'
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
पिन- 274309
मो- 9919080399

Last edited by आकाश महेशपुरी; 15-04-2023 at 04:49 AM.
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