ग़ज़ल- जिनपे लिखता हूँ मुहब्बत के तराने ज्या
ग़ज़ल- जिनपे लिखता हूँ ...
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जिनपे लिखता हूँ मुहब्बत के तराने ज्यादा
वे ही लगते हैं मेरे दिल को दुखाने ज्यादा
ज़िंदगी तेरे तजुर्बे से यही सीखा है
ज़ख़्म देते नहीं अपनो से बेगाने ज्यादा
देर लगती नहीं है वक़्त बदलते यारों
आप मत दीजिए कमजोर को ताने ज्यादा
जबसे अपना लिया है आपने ये सादापन
आप सबको लगे हैं और लुभाने ज्यादा
भूख जितनी है ग़रीबों के शिकम में यारों
फेंक देते हैं लोग उससे तो खाने ज्यादा
मन में आता कि कहूँ चोर बुलाकर उनको
दिल चुरा कर लगे मुझको जो सताने ज्यादा
मुझको कमतर वही 'आकाश' समझ लेता है
जान जिस पर भी मैं लगता हूँ लुटाने ज्यादा
ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी
दिनांक- 18/03/2024
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वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी'
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
पिन- 274309
मो- 9919080399
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मापनी- 2122 1122 1122 22/112
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