Re: स्वास्थ्य समाचार
म्यूजिक थेरपी से स्ट्रोक के पेशंट्स का इलाज
लंबे समय से माना जाता है कि म्यूजिक सुनने से टेंशन में कमी आती है पर अब एक नई रिसर्च का दावा है कि इससे स्ट्रोक पेशंट्स के इलाज में मदद मिल सकती है। उनका दावा है कि इसका दिमाग पर स्ट्रॉन्ग इफेक्ट पड़ता है।
रिसर्चरों ने म्यूजिक थेरपी के फायदों पर हुईं कई स्टडीज के रिव्यू के बाद पाया कि स्ट्रोक पेशंट्स पर यह वाकई काम करती है। इससे उनके मूवमेंट में काफी सुधार भी होता है। ध्यान हो कि हर साल करीब 2 करोड़ लोग स्ट्रोक के शिकार होते हैं। कई लोगों को दिमागी चोट आ जाती है जिससे उनके मूवमेंट और लैंग्वेज अबिलिटी पर असर पड़ता है। इससे उनकी क्वॉलिटी लाइफ पर बुरा असर पड़ता है।
म्यूजिक थेरपिस्ट को भी ऐसी तकनीक मालूम होती है जो ब्रेन फंक्शंस को स्टिमुलेट करती है और पेशंट्स की हालत सुधारती है। इसमें सबसे आम तकनीक है रिदमिक ऑडिटरी स्टिमुलेशन (आरएएस)। यह रिद्म और मूवमेंट के कनेक्शंस से जुड़ी है। इसमें पेशंट्स की मूवमेंट को स्टिमुलेट करने के लिए एक खास टेंपो के म्यूजिक का इस्तेमाल किया जाता है।
विभिन्न रिसर्चों का रिव्यू करने पर देखा गया कि आरएएस थेरपी से पेशंट्स की चलने-फिरने की स्पीड में औसतन 14 मीटर प्रति मिनट का सुधार हुआ। बाकी स्टैंडर्ड मूवमेंट थेरपी में इसके मुकाबले कम सुधार देखा गया। एक ट्रायल में आरएएस से हाथों के मूवमेंट में भी सुधार आया। हाथ को कोहनी से मोड़ने में भी इस थेरपी से मदद मिली।
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