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Originally Posted by hamsafar+
इन्हीं लोगों ने ...................
इन्हीं लोगों ने ले लीना दुपट्टा मेरा ...
हमरी न मानो बजजवा से पूछो
हमरी न मानो सय्याँ ... बजजवा से पूछो
जिसने ... जिसने अशरफ़ी गज़ दीना दुपट्टा मेरा
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रात और दिन दिया जले, मेरे मन में फिर भी अंधियारा है
जाने कहा है, ओ साथी, तू जो मिले जीवन उजियारा है