Thread
:
छींटे और बौछार
View Single Post
29-10-2010, 01:08 AM
#
1
jai_bhardwaj
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power:
99
छींटे और बौछार
~:~:~छींटे और बौछार ~:~:~
महकती सी तुम आयीं थी एक दिन मेरे ख़्वाबों में
मुझे लेकर गयी फिर तुम, शहर से दूर ढाबों में
ढके मैं नाक दस्ती से, रहा मैं घूमता संग में
तुम्हारी वह जो खुशबू थी वह रहती 'जय' जुराबों में ||
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।
कभी कभी -->
http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा:
https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj
View Public Profile
Send a private message to jai_bhardwaj
Find More Posts by jai_bhardwaj