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Originally Posted by bhaaiijee
~:~:~छींटे और बौछार ~:~:~
महकती सी तुम आयीं थी एक दिन मेरे ख़्वाबों में
मुझे लेकर गयी फिर तुम, शहर से दूर ढाबों में
ढके मैं नाक दस्ती से, रहा मैं घूमता संग में
तुम्हारी वह जो खुशबू थी वह रहती 'जय' जुराबों में ||
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आप हैं किन खयालो में
आपके बनियान में भी बेहोशी की शक्ति है
बहुत काम आएगा अस्पतालों में