View Single Post
Old 04-04-2011, 05:29 AM   #13
sagar -
Exclusive Member
 
sagar -'s Avatar
 
Join Date: Feb 2011
Posts: 5,528
Rep Power: 41
sagar - has a reputation beyond reputesagar - has a reputation beyond reputesagar - has a reputation beyond reputesagar - has a reputation beyond reputesagar - has a reputation beyond reputesagar - has a reputation beyond reputesagar - has a reputation beyond reputesagar - has a reputation beyond reputesagar - has a reputation beyond reputesagar - has a reputation beyond reputesagar - has a reputation beyond repute
Default Re: सब्जियों और फलों के गुण

अंगूर



आयुर्वेदीय ग्रंथों में द्राक्षा, दाख और मुनक्का नामों से अंगूर का वर्णन पाया जाता है। मुगल बादशाहों के जमाने में इसका अधिक प्रचार प्रसार हुआ है। कच्चे हरे या पक्के फलों को अंगूर कहते हैं।

ये जब विशेष प्रकार से सुखाए जाते हैं ,तो मुनक्का या दाख कहलाते हैं और जब यह छोटे कच्चे अंगूर बीज रहित हो ,तो किशमिश कहलाते हैं। यह छोटे-बडे बीज रहित बेदाना आदि कई प्रकार के होते हैं। इनमें काले अंगूर और बडे अंगूरऔर कुछ लंबे अंगूर पिटारी का अंगूर "गोस्तानी द्राक्षा" को सर्वश्रेष्ठ अंगूर में गिना जाता है। भारतवर्ष में आजकल सभी जगह एवं कुमाऊ, नासिक, देहरादून, पूना औरंगाबाद आदि जगहों पर बहुतायत में इसकी खेती होती है। भारत में अंगूर की यूरोपियन, अमरीकन और ऑस्टे्रलियन किस्में पैदा होने लगी हैं। इसके अलावा अफगानिस्तान, ब्लूचिस्तान और सिंध में कई तरह के अंगूर होते हैं जिन्हें हेटा, किसमिस, कलमक, हुसैनी आदि अच्छी किस्म की उ“ास्तरीय मुनक्का बनाई जाती है। ये अंगूर बहुत मीठे होते हैं। फलों में यह सबसे उत्तम और निर्दोष फल है और सभी रोगों में पथ्य हैं। बडे चिकित्सक इसको दूध से भी अधिक गुणकारी रोगों में पथ्य समझते हैं। यह टीबी के रोगियों में अमृत तुल्य शरीर की गर्मी का नाशक, शक्तिदायक अग्निदीपक, हल्का दस्तावर, पेशाब साफ लाने वाला, बुखार नाशक , ह्वदय और शरीर को पुष्ट करने वाला सर्वोत्तम फल है। बच्चों को दांत आने के समय अजीर्ण, कोष्ठबद्धता (कब्ज) हो जाती है। ऎसे में उन्हें अंगूर का रस छानकर पिलाएं। बच्चों के मुंह में छाले या टॉन्सिल होने पर भी इसका रस पिलाने में लाभ होता है।

अंगूर का शरबत
ताजे उत्तम पके हुए काले या हरे अंगूर को गर्म पानी में धोकर एक सेर रस निकालें। दो किलो चीनी को डेढ सेर पानी में पकाएं। उबाल आने पर अंगूर का रस उसमें मिला दें। एक तार की चाशनी आने पर बोतलों में भरकर रखें। यह शरबत स्वरभंग (गला बैठने पर) खांसी, टीबी रोग और रक्त विकार के रोगों में भी लाभप्रद है। वैसे यह शरबत हर आदमी को निरोग रखने में सहायक है। अंगूर दूध बढाने वाला है जिन माताओं के स्तनों में दूध कम आता है उन्हें अंगूर का सेवन करना चाहिए। काले अंगूर विशेष गुणकारी हैं। गठिया और जिगर के रोग में फायदेमंद है। दूध के साथ इसका संयोग अधिक गुणकारी होता है।

मुनक्का
बुखार, पीलिया, टीबी जैसे रोगों में मरीज का वजन कम होने पर मुनक्का खिलाएं। इसके अलावा कब्ज होने, आंखों की ज्योति बढाने, नाखूनों की बीमारी होने पर, सफेद दाग, महिलाओं में गर्भाशय की समस्या में अंगूर लाभप्रद होते हैं। इन समस्याओं में मुनक्का को दूध में पकाकर थोडा घी व मिश्री मिलाकर खाने से फायदा होता है और वजन भी बढता है। जितना पच सके उतने मुनक्का रोज खाने से सातों धातुओं का पोषण होता है।

ह्वदय शूल
ह्वदय पीडा होने पर मुनक्का तीन माशा में दो भाग शहद मिलाकर कुछ दिन सेवन करने से फायदा होता है।

शरीर पुष्टि के लिए
मुनक्का 12 नग, छुहारा पांच नग, छह नग फूल मखाना दूध में मिलाकर खीर बनाकर सेवन करने से रक्त-मांस की वृद्धि होकर शरीर पुष्ट होता है। आयुर्वेद के द्राक्षासव, द्राक्षारिष्ट, द्राक्षावलेह, अंगूरासव आदि औष्ाघियों का प्रयोग किया जाता है।


किसी ने धतूरा खा लिया हो, तो उसे अंगूर का सिरका दूध में मिलाकर पिलाने से काफी लाभ होता है। अंगूर मियादी बुखार, मानसिक परेशानी, पाचन की गड़बड़ी आदि भी काफी लाभकारी है। अंगूर शरीर में मौजूद विषैले तत्वों को आसानी से शरीर से बाहर निकाल देता है। यह एक अच्छा रक्तशोधक(ब्लड प्यूरीफायर) व रक्त विकारों को दूर करने वाला फल है।

अंगूर रक्त की क्षारीयता सन्तुलित करता है, क्योंकि रक्त में अम्ल व क्षार का अनुपात 20: 80 होना चाहिए। यदि किसी कारणवश शरीर में अम्लता बढ़ा जाए, तो वह हानिकारक साबित होता है। अंगूर बढ़ती अम्लता को आसानी से कन्ट्रोल करता है। अंगूर का 200 ग्राम रस शरीर को उतनी ही क्षारीयता प्रदान करता है, जितना कि एक किलो 200 ग्राम बाईकार्बोनेट सोडा, हालांकि सोडा इतनी अधिक मात्रा में लिया नहीं जा सकता।
sagar - is offline   Reply With Quote