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Old 05-04-2011, 08:37 PM   #7
VIDROHI NAYAK
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Default Re: क्या है जन लोकपाल बिल !

3-4 दिनों में झुक जाएगी सरकारः अन्ना हजारे

देश में गहरी जड़ें जमा चुके भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जन लोकपाल बिल लाने की मांग करते हुए अन्ना हजारे ने मंगलवार को आमरण अनशन शुरू कर दिया। जंतर - मंतर पर सामाजिक कार्यकर्ता हजारे को सपोर्ट करने हजारों लोग जुटे। अन्ना को उम्मीद है कि 3-4 दिनों में सरकार बाज आएगी और लोगों की मांग मानेगी। उन्होंने कहा कि हम सरकार से बस यही मांग रहे हैं कि एक कमिटी बनाओ जिसमें आधे लोग आपके और आधे लोग पब्लिक के हों और यह जनलोकपाल बिल का ड्राफ्ट बनाने का काम शुरू करे।
हालांकि प्रधानमंत्री के मन में हजारे और उनके मिशन के लिए काफी सम्मान है। हजारे ने बताया , ' पीएम ने उनसे कहा है कि हम आप पर भरोसा करते हैं , आपका सम्मान करते हैं। ’ उन्होंने आगे कहा, ‘ लेकिन पिछले महीने की बैठक के बाद एक बार भी पीएम हमारे साथ बातचीत के लिए नहीं बैठे। पीएम ने भ्रष्टाचार से निपटने के लिए प्रस्तावित कानून पर हमारी जॉइंट कमिटी की मांग को भी खारिज कर दिया। ’
अन्ना ने जंतर - मंतर पर उमड़े समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि देश को दुश्मनों से नहीं बल्कि गद्दारों से खतरा है। उन्होंने कहा , ' हमारा आंदोलन किसी पार्टी के खिलाफ नहीं है। हमारी मांग है कि जॉइंट कमिटी बनाई जाए। ' उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में इस तरह हमने 7 कानून बनाए हैं तो फिर देश में क्यों नहीं ? अन्ना ने कहा , ' सरकार मेरे अनशन से नहीं डरती , उसे डर है तो बस यह कि पब्लिक भड़केगी तो उनकी सरकार गिर जाएगी। इसलिए मुझे लगता है कि सरकार 3-4 दिन में झुकेगी और उन्हें जन लोकपाल बिल की मांग मांगनी पड़ेगी। '
उन्होंने कहा कि सरकार अकेले ही बिल का मसौदा तैयार करती है तो यह निरंकुश है , यह लोकशाही नहीं है। अन्ना ने ऐलान किया कि जब तक बिल की मांग पूरी नहीं होती वह महाराष्ट्र नहीं जाएंगे। उन्होंने बताया कि देश भर में 500 शहरों में और महाराष्ट्र में 250 ब्लॉक में लोग आंदोलन के समर्थन पर अनशन पर बैठे हैं।
आमरण अनशन पर बैठने से पहले अन्ना हजारे सुबह राजघाट गए और महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। फिर एक खुली जीप में इंडिया गेट की ओर रवाना हुए। इस दौरान स्कूली बच्चे और तिरंगा लहराते समर्थक उनके साथ थे। हजारे ने प्रधानमंत्री की अपील को ठुकराते हुए आमरण अनशन शुरू किया। पीएमओ ने सोमवार रात उनके फैसले पर निराशा जताई थी और बयान जारी कर कहा था कि इस बात पर गहरी निराशा प्रकट करते हैं कि हजारे अब भी अपनी भूख हड़ताल पर जाने के बारे में सोच रहे हैं।
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( वैचारिक मतभेद संभव है )
''म्रत्युशैया पर आप यही कहेंगे की वास्तव में जीवन जीने के कोई एक नियम नहीं है''

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